Monday, November 19, 2007

आज सोमवार है

दोस्तों कहते हैं कि अपनी डफली अपना राग इसी प्रकार से तो मैं भी यही कर रहा हूँ ,क्योंकि मुझे लगता है कि एक व्यक्ति के सामान्य से विचार के लिए अब किस के पास समाया है । खैर भाई जब ठान हे लिया है तो यह ही सही अपनी डफली अपना राग । आज तो आगरा मे बहुत कुछ हुआ परन्तु इतना विशेष भी नहीं कि आप लोगों केकीमती समय को नष्ट किया जाये । खैर अभी भी आपके पास मेरे इन फालतू शब्दों को पढ़ने का समय हो तो आप से अनुरोध है कि आप सभी अपना समय ishwar के ध्यान mey समय lagaaiye