Saturday, April 24, 2010

आई पी एल वालों को सलाह.

मित्रों ,
पिछले दिनों से चल रहे हंगामे पर मैं सिर्फ एक फिल्मी संवाद लिखना चाहूंगा श्री ललित मोदी जी के लिए , " चिनॉय सेठ जिनके घर शीशे के होते हैं वोह दूसरों के घर पर पत्थर नहीं फेंकते."

Sunday, April 18, 2010

ललित थरूर और शशि मोदी

मित्रों ,
आज उपरोक्त शब्द मैंने एक समाचार पत्र में पढ़े तो मुझे लगा की कितना सही लिखा है। मेरा मतलब है की दोनों के नामों का उलटफेर यह बताता है कि दोनों के आचरण में सामानता है। मैं आई पी अल से जुड़े विवाद को जब देखता और सुनता हूँ तो मुझे लगता है उपरोक्त दोनों लोग अपने हित को ही सर्वोपरि मान कर आई पी अल का इस्तेमाल करना चाहते हैं । क्योंकि दोनों के निजी हितों में टकराव हो गया तो यह सब हमारे सामने है। अरे भाई आई पी अल मोदी , सरकार या बीसीसी आई कि कैसे हो सकती है यह तो क्रिकेट प्रेमियों की है। इस में जो कोई भी पैसा लगा रहा है वोह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से क्रिकेट के प्रति आम भारतियों की दीवानगी को भुनाने के लिए है। एक तरफ ललित मोदी ने इसे एक जेबी संगठन बना दिया और शशि थरूर जैसे चाँद लोगों ने इसे मुफ्त में पैसा और नाम कमाने का जरिया बना लिया है। एक क्रिकेट प्रेमी के रूप में मुझे तो यह बहुत दुखद लग रहा और ललित मोदी और शशि थरूर के बारे में नयी नयी हंगामेदार जानकारी छापी और दिखाई जा रही है परन्तु कहीं से भी क्रिकेट प्रेमियों के साथ हो रहे इस खुले छलकी बात नहीं हो रही है । मैं समझता हूँ की किसी भी खेल के लिए सबसे महत्वपूर्ण उसके खिलाड़ी और खेलप्रेमी होने चाहिए और मीडिया सरकर या हम को संघठित हो कर इन बिचौलिए और खेल से गलत फायदा उठाने वालों का विरोध करना चाहिए।