Thursday, July 16, 2009

नक्सलवाद का नासूर

मित्रों,
पिछले दिनों मीडिया के सभी प्रतिरूपों में कई सारी नक्सलवादी घटनाओं के बारे में सभी ने पढा होगा । मुझे तो यह सब पढ़ कर हमारे देश के सामने एक बहुत बड़ी चुनौती मालूम पड़ती है। मित्रों हमारे देश में अब तक जो भी आतंकवादी या उग्रवादी आन्दोलन हुए वोह मुख्यतः कुछ क्षेत्रों में हे सीमित रहा और इन हिंसक आन्दोलनों के पीछे विदेशी मदद का भी बहुत योगदान था। हमारी सरकार भी काफ़ी हद तक इन हिंसक आन्दोलनों को काबू कर पायी है । परन्तु अब नक्सलवाद का ज़हर धीमे धीमे पूरे मुल्क में फ़ैल रहा है , यह बहुत गंभीर समस्या है। एक ओरे यदि इसे पूरी ताक़त से कुचलने की आव्यश्यक्ता है , तो दूसरी ओर इसकी जड़ में भी पहुँचने की आव्यश्यक्ता है। मेरी समझ में इन आन्दोलनों को जन समर्थन का कारण आम जनता के हमारी शाशन व्यवस्था में ख़तम हो रहे विश्वास में है। दिन प्रतिदिन आम आदमी का क़ानून से भरोसा उठ रहा है, क्योंकि राजनेताओं और नौकरशाहों ने हमारे देश के सम्विधान और क़ानून को अपनी सुविधा से तोड़ना और मरोड़ना शुरू कर दिया है। मैं समझता हूँ शाशन और सत्ता के शीर्ष पद पर बैठे लोगों को जाग जाना चाहिए क्योंकि यदि इस प्रकार के हिंसक नक्सलवादी आन्दोलनों का जन समर्थन बढ़ गया तो उन्हें और उनके परिवारों को सबसे ज्यादा कष्ट उठाना पड़ेगा , क्योंकि आम जनता तो सारे कष्ट किसी न किसी तरह से बर्दाश्त कर लेगी पर इस कुलीन वर्ग का काया होगा?
अभी भी वक़्त है राष्ट्रहित को सर्वोपरि मानते हुए जनता के लिए , जनता के द्वारा और जनता का राज कायम करें और भारत को आगे ले जाएँ.