दोस्तों पिछले दो दिनों में पंजाब में हुई हिंसक घटनाओं ने पुनः मेरे दिल को झकझोर दिया है , कुछ इसी प्रकार की निराशा और कुंठा मेरे मन में पिछले वर्ष राजस्था में हुए गुर्जर आन्दोलन के दौरान हुई बे-रोकटोक हिंसा होने पर हुई थी।
क्या हमारे मुल्क में भयमुक्त समाज का मतलब अब इस प्रकार हो गया है- "किसी को भी मारो हिंसा का नंगा नाच सड़कों और सार्वजनिक जगहों पर दिखाओ राष्ट्र की संपत्ति को तोड़ो नष्ट करो और फिर उस वीरता के लिए सरकार से मुआवजा मांगो।"
इस सब में तो बेचारा निर्दोष और लाचार सभ्य और कानून का पालन करने वाला नागरिक पिस जाता है और दिन बा दिन गुंडों और असभ्य समाज के द्वारा उसे ठिकारें ही मिलती हैं।
क्या हमारा देश एक ऐसे मुल्क में तब्दील हो गया है जहाँ कुच्छ भी करने की छूट है ? या फिर कहिये की कानून का राज ख़तम हो गया है, या फिर यूँ कहिये सरकार या उसे चलाने वाले नेताओं में काननों का राज कायम करने की हिम्मत नहीं है ?
क्या हमारे देश में किसी भी दंड की कोई भी सज़ा नहीं यहाँ कुछ भी करो और आप बेरोकटोक घूम सकता हैं सोचिये सोचिये और पुनः सोचिये........