मित्रों
पिछले कुछ दिनों से अखबारों और टी.वीख़बरों में उत्तर प्रदेश के कुछ कॉलेज में लड़कियों के जींस पहनने पर लगी पाबन्दी की खबरें सुर्खियों में हैं । पहले तो मैं समझता हूँ कि इन कॉलेजों के प्राचार्यों को पहले शिक्षा का स्तर सुधारने पर ध्यान देना चाहिए और इस प्रकार के फालतू विषयों को उठा कर के सरकारी अनुदान प्राप्त विद्यालयों कि दुर्दशा पर से लोगों का ध्यान हट्टाने के लिए हैं।
दूसरी ओर मैं समझता हूँ कि जिन स्टूडेंट्स और लड़कियों ने इसका विरोध किया वोह भी उतना हे बेतुका है । मुझे समझ में नहीं आता है कि यदि चंद घंटों के लिए वो सलवार कमीज जैसी ड्रेस पहन लेंगी तो कोई प्रलय नहीं आएगी। मुझे नहीं लगता कि किसी भी महाविद्यालय कि श्रेष्ठ छात्राओं को इस विषय पर कोई एइतराज़ होगा ।
क्या जींस पहनना और बदन दिखाना ही नारी शशक्तिकरण का प्रतीक है?
बस सार यही है कि हम लोग फालतू विषयों पर अपनी ऊर्जा नष्ट नहीं करें। हमारे देश के युवा वर्ग और ख़ास कर इस देश कि होनहार युवतियों को अपनी शक्ति सृजन और रचनात्काक कार्यों में नष्ट करनी चाहिए। इंदिरा गाँधी , किरण बेदी, इंदिरा नूयी , मीरा कुमार ,सरोजिनी नायडू ,किरण मजुमदार शौ, ममता बनर्जी, लता मंगेशकर, अरुंधती रोय एकता कपूर इत्यादि अनगिनत भारतीय महिलाओं को अपनी प्रतिभा दर्शाने के लिए किसी विशेष ड्रेस कि आवश्यकता नहीं पड़ी। मेरा यही कहना है हम जो चाहें वोः पहने परन्तु यदि हमें अपने स्कूल या कॉलेज में चाहें युवक हों या युवतियां कुछ समय के लिए कोई पाबन्दी है इसमें कोई हर्ज़ नहीं है यह हमारी प्रतिभा कीराह में रोडा नहीं है.
2 comments:
कॉलेज में तो ड्रेस कोड होता नही है ।
अश्विनी जी
आपका विचार बिल्कुल सही है।
प्रणाम स्वीकार करें
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