Thursday, August 5, 2010

राष्ट्रमंडल खेल [सब गोलमाल है भाई सब गोलमाल है]

मित्रों हम सभी अब तक इन खेलों की आड़ में हो रही घपलेबाजी के बारे में काफी कुछ पढ़ व देख चुके होंगे। परन्तु हमारे जेहन में एक बात आती है कि राजनेताओं और पत्रकारों को पिछले कई महीनों और वर्षों से हो रहे किसी भी घपले कि भनक अभी ही क्यों लगी है? मुझे तो एक ही चिंता है कि इन खेलों का आयोजन इस प्रकार से हो जाए कि आम भारतीय का सर शर्म से न झुके । क्या कॉमन वेअल्थ के इस कीचड में कोई कमल खिल पायेगा?

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