Thursday, December 4, 2008

लोकतंत्र को भीड़तंत्र बनने से रोकना होगा

मित्रों
अब मैं अपने पुराने ब्लॉग "लोकतंत्र बन गया भीड़तंत्र " पर हुई चर्चा को आगे बढाता हूँ।
मेरी नज़र में शायद आज हमारे देश में भीड़ या कहिये वोट बैंक की जो राजनीती शुरू हुई है वोह बहुत सारीसमस्याओं जैसे धार्मिक उन्माद ,जातिवाद ,तुष्टिकरण आदि की जनक है। इसका कारण हमारी चुनाव प्रणाली है । हमारे चुनावों में जो प्रत्याशी सबसे ज्यादा वोट पाता है वही चुना जाता है चाहें उसे पाँच प्रतिशत ही वोट क्यों न मिले हों। हमारे यहाँ इस प्रकार से चुने जाने को बहुमत से चुना जाना कहा जाता है। यह तो सही मायनों में बहुमत नहीं है। बहुमत तो ५१% या उससे अधिक मतों का पाना ही है।
आज राजनेता अपना सारा प्रयास किसी न किसी प्रकार का वोट बैंक बनाने में लगाते हैं। चाहें धर्म हो या जाती या क्षेत्र वाद हो नेता लोग कोई न कोई वर्ग के प्रति तुष्टिकरण की नीती अपनाते हैं और विभिन्न लोगों को अल्लग अलग वोट बैंक के रूप मैं हे देखते हैं।
इसका मेरी नज़र में इलाज़ यह हो सकता है की चुनाव में प्रत्याशियों के लिए निर्वाचित हने के लिए ५० प्रतिशित वोट पाना अनिवार्य हो। इस प्रकार राजनेता देश के सभी वर्गों के लोगों में अपनी पहचान बनाना चाहेंगे और शायद भीड़ की या वोट बैंक की राजनीती छोड़ सकें.

1 comment:

dharamraksha said...

अश्वनीजी इस राजनीती ने ही तो इस देश का सबसे ज्यादा नुकसान किया है
मैं आपके विचारो से सहमत हूँ